Thursday, November 30, 2017

Why the interest in virtual currencies?

Why the interest in virtual currencies?

Bitcoin saw its value trading at above $10,000 (about ₹6.43 lakh) per
bitcoin, up by about 900% from its value on January 1, 2017. At a time
when the Indian government is in the process of determining the
legality of cryptocurrencies, it is important to understand what
exactly a virtual currency means for the layman.


What is bitcoin?

Bitcoin is one of many cryptocurrencies that have gained popularity
across the world. A cryptocurrency is a basically a digital asset that
has been created to function as a medium of exchange, like cash. It
uses cryptography to ensure the security of transactions —
authentication and prevention of duplicate transactions — and to
control the creation of new units of currency. This is different from
cash in that cryptocurrencies have no physical form. They are simply
numbers on a screen and there is no central bank that issues new
currency. Other crypto-currencies include Ethereum, Ripple, Litecoin,
Dash, Ethereum Classic, Monero, and Zcash. However, bitcoin has
emerged as the popular face of cryptocurrencies.


Can you use bitcoin as currency?

At the moment, the Reserve Bank of India has banned transactions in
India using cryptocurrencies. In other words, while you can buy and
sell cryptocurrencies on online exchanges, you can't use them to pay
for goods and services within the country. In April, the government
had constituted an inter-disciplinary panel to look into the legality
of cryptocurrencies and suggest a way forward, which included a having
a regulator if they are legalised.

The panel, which included officials from the Department of Economic
Affairs, Department of Financial Services, Department of Revenue,
Ministries of Home Affairs and Electronics and Information Technology,
the Reserve Bank of India, NITI Aayog, and the State Bank of India,
submitted its report in August. The contents have not yet been made
public.


What do the experts say?

Experts and central banks across the world are slowly arriving at the
conclusion — written about in various research papers but not yet
implemented in policy — that cryptocurrencies are here to stay. The
only way to regulate their value and quantity is for central banks to
issue their own digital currencies. While the value of digital
currencies such as bitcoin are market-determined, depending on what
somebody is willing to pay, a central bank-backed digital currency
will have its value controlled to an extent by the central bank
itself, much like any other major currency in the world.

There is, however, still a lot of analysis to be done regarding the
effect of such a central bank-backed digital currency on factors such
as inflation and price levels. Perhaps that is perhaps why central
banks worldwide are not rushing ahead to issue their own digital
currencies.

Friday, September 16, 2016

Photo from ashok karnani

Life quotes

Friday, February 5, 2016

Yoga Practice

"Yoga is a personal practice, a daily discipline, a devotional activity dedicated to the highest truth within. Yoga is a slow, steady turning inward of the awareness so that you directly experience the infinite depth of the inner most self within. Once you touch that space, you carry the seed of peace with you in every moment of your life." Kino McGregor

Friday, October 24, 2014

GOOD MORNING

A Smile Is Like a
Simcard & Life Is Like s Cellphone Whenever 
You Insert The 
Simcard Of a Smile , 
a Beautiful Day Is 
Activated ...Good Morning. Happy Goverdhan Puja today !

Saturday, October 4, 2014

ध्यान के लघु प्रयोग




निष्क्रिय ध्यान!

यह ध्यान प्रात:काल के लिए है। इस ध्यान में रीढ़ को सीधा रख कर, आंखें बंद करके, गर्दन को सीधा रखना है। ओंठ बंद हों और जीभ तालु से लगी हो। श्वास धीमी गहरी लेना है। और ध्यान नाभि के पास रखना है। नाभि-केंद्र पर श्वास के कारण जो कंपन मालूम होता है, उसके प्रति जागे रहना है। बस इतना ही करना है। यह प्रयोग चित्त को शांत करता है और विचारों को शून्य कर देता है। इस शून्य से अंतत: स्वयं में प्रवेश हो जाता है।
इस प्रयोग में हम क्या करेंगे? शांत बैठेंगे। शरीर को शिथिल, रिलैक्स्ड और रीढ़ को सीधा रखेंगे। शरीर के सारे हलन-चलन, मूवमेंट को छोड़ देंगे। शांत, धीमे और गहरी श्वास लेंगे। और मौन, अपनी श्वास को देखते रहें और बाहर की जो ध्वनियां सुनाई पड़ें, उन्हें सुनते रहेंगे। कोई प्रतिक्रिया नहीं करेंगे। उन पर कोई विचार नहीं करेंगे। शब्द न हों और हम केवल साक्षी हैं, जो भी हो रहा है, हम केवल उसे दूर खड़े जान रहे हैं, ऐसे भाव में अपने को छोड़ देंगे। कहीं कोई एकाग्रता, कनसनट्रेशन नहीं करनी है। बस चुप जो भी हो रहा है, उसके प्रति जागरूक बने रहना है।
सुनो! आंखें बंद कर लो और सुनो। चिडि़यों की टीवी-टुट, हवाओं के वृक्षों को हिलाते थपेड़े, किसी बच्चे का रोना और पास के कुएं पर चलती हुई रहट की आवाज- और बस सुनते रहो, अपने भीतर श्वास स्पंदन और हृदय की धड़कन। और, फिर एक अभिनव शांति और सन्नाटा उतरेगा और आप पाओगे कि बाहर ध्वनि है, पर भीतर निस्तब्धता है। और आप पाओगे कि एक नये शांति के आयाम में प्रवेश हुआ है। तब विचार नहीं रह जाते हैं, केवल चेतना रह जाती है। और इस शून्य के माध्यम में ध्यान, अटेंशन उस और मुड़ता है जहां हमारा आवास है। हम बाहर से घर की ओर मुड़ते हैं।
दर्शन बाहर लाया है, दर्शन ही भीतर ले जाता है। केवल देखते रहो- देखते रहो-विचार को, श्वास को, नाभि स्पंदन को। और कोई प्रतिक्रिया मत करो। और फिर कुछ होता है, जो हमारे चित्त की सृष्टिं नहीं है, जो हमारी सृष्टिं नहीं है, वरन हमारा होना है, हमारी सत्ता है, जो धर्म है, जिसने हमें धारण किया है, वह उद्घाटित हो जाता है और हम आश्चर्यो के आश्चर्य स्वयं के समक्ष खड़े हो जाते हैं।


(सौजन्य से : ओशो इंटरनेशनल फाउंडेशन)

Monday, February 17, 2014

सफल जीवन के तीन सूत्र : स्वास्थ्य, शांति और शक्ति

सफल जीवन के तीन सूत्र : स्वास्थ्य, शांति और शक्ति



2014-02-17 23:29 GMT+05:30 ashok karnani <ashokkarnanis@gmail.com>:
हर व्यक्ति अपने जीवन में सफल बनना चाहता है। चाहे वह साधारण व्यक्ति हो या आध्यात्मिक, वह तरक्की करना चाहता है। हालांकि लोगों का ज्यादातर समय अतीत की उधेड़बुन में या भविष्य की कल्पना में ही बीत जाता है। वे या तो स्मृति में उलझा रहते हैं या फिर मधुर काल्पनिक सपने देखते रहते हैं। इस कारण वर्तमान उनके हाथ से छूट जाता है। वे उसे पकड़ ही नहीं पाते। किंतु वास्तविकता यह है कि जो कुछ घटित होता है वह वर्तमान में होता है। इसलिए व्यक्ति को अपने वर्तमान के प्रति जागरूक रहना चाहिए। 

वर्तमान जीवन को अच्छा बनाने के लिए तीन सूत्र महत्वपूर्ण हैं: 1. स्वास्थ्य संपन्नता,2. शक्ति संपन्नता और 3. शांति संपन्नता। हर व्यक्ति को अच्छा स्वस्थ चाहिए। कोई भी बीमार नहीं होना चाहता। पर स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी है कि व्यक्ति खाद्य-संयम का अभ्यास करे। यदि बिल्कुल खाना छोड़ दिया जाए तो जीना मुश्किल हो जाता है और खाता ही चला जाए तो जीना और ज्यादा मुश्किल हो जाता है। खाना या नहीं खाना बड़ी बात नहीं होती। बड़ी बात है कि खाने और न खाने में विवेक रखना। कब, क्या और कितना खाना, यह जानकारी होनी चाहिए। जिसकी पाचन-क्रिया कमजोर हो, उसे तो अधिक सावधानी रखनी चाहिए। यदि वह ज्यादा खाता है, गरिष्ठ भोजन करता है अथवा बार-बार खाता है तो फिर अच्छे स्वास्थ्य की आशा नहीं करनी चाहिए। 
साधक के लिए तो इस पर और अधिक ध्यान देने की जरूरत है कि वह कब, क्या और कितना खाए? भोजन से स्वास्थ्य और साधना दोनों प्रभावित हो सकते हैं। आचार्यश्री महाप्रज्ञ का स्वास्थ्य नब्बे वर्ष की अवस्था में भी प्राय: ठीक रहता था। खाद्य संयम के कारण वे अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा किए हुए थे। अनेक बार यह बात उनसे सुनी गई है '-तली हुई चीजों का तो मुझे स्वाद भी मालूम नहीं है।' उनका कहना था कि जो व्यक्ति बौद्धिक श्रम करते हैं, उन्हें खाने का संयम अवश्य करना चाहिए। खाद्य-संयम से अनेक छोटी-मोटी बीमारियां स्वत: दूर हो जाती हैं। 

मनुष्य कमजोर भी रहना नहीं चाहता। वह शक्तिशाली बनना चाहता है। वास्तव में तो इंसान के भीतर अनंत शक्तियों का भंडार भरा पड़ा है। जरूरत यह है कि वे अनंत शक्तियां प्रकट हों। मनुष्य के पास सब कुछ है- ज्ञानशक्ति, चिंतनशक्ति, कर्मशक्ति आदि। यदि वह अपनी शक्तियों को जागरूक करे और सही दिशा में लगाए तो बहुत विकास कर सकता है। शक्तिसंपन्न व्यक्ति वर्तमान में जीना चाहता है क्योंकि उसे अपनी क्षमताओं पर विश्वास होता है। वह कोई कार्य अपनी शक्ति, श्रम, समय और सोच के समन्वय के साथ करता है, जिससे अपने जीवन को सार्थक कर सकता है। 

मनुष्य शरीर से सबल बने ताकि रोग तनाव आदि उसे प्रभावित न कर सकें। किंतु शरीर की ताकत से भीज्यादा जरूरी है मनोबल संकल्पबल संयमबल आदि। यदि व्यक्ति का मनोबल मजबूत है वह दृढ़संकल्पशक्ति वाला है और संयम के प्रति उसकी गहरी निष्ठा है तो ऐसा कोई कार्य नहीं जिसे वह न कर सके।व्यक्ति नई शक्तियों को जगाने का हर संभव प्रयास करे और अच्छे कार्यों का संकल्प ले तो वह अपने वर्तमानजीवन को अच्छा बना सकता है। 

पर जहां क्रोध है लोभ है झगड़ा है असहिष्णुता है वहां व्यक्ति की शांति नष्ट हो जाती है। जहां परिवार मेंकलह होता है वहां अशांति का वातावरण बन जाता है। अनेक लोग आते हैं कि महाराज हमें केवल शांतिचाहिए। आप कोई ऐसा मंत्र बता दें जिससे हमंे शांति मिल जाए। एक बार आचार्य तुलसी के पास अमेरिकीलोग आए। उन्होंने पूछा आचार्यजी जीवन में शांति कैसे मिल सकती है आचार्यश्री ने कहा अमेरिका तोधनवान राष्ट्र है। आपको सब तरह के साधन उपलब्ध हैं। फिर भी क्या शांति नहीं मिली अमेरिकी लोगों नेकहा नहीं। तब आचार्य तुलसी ने कहा शांति की प्राप्ति भौतिक पदार्थों से नहीं त्याग और संयम के विकास सेहोती है। लालसा की तेज धारा में बहने वाला व्यक्ति कभी शांति का दर्शन नहीं कर सकता। वह हर समयअशांति की आग में झुलसता रहता है। 

इस प्रकार स्वास्थ्य संपन्नता शक्ति संपन्नता और शांति संपन्नता हो तो व्यक्ति अपने वर्तमान जीवन कोसफल बना सकता है। 

प्रस्तुति ललित ग र्ग 

Tuesday, April 19, 2011

Contradictory proverbs

Contradictory proverbs.... Interesting!
Every Action has an equal and an opposite reaction.
Similarly, every proverb has an equal and an opposite proverb!

There always exist two sides of the same coin.


U be the judge...


All good things come to those who wait
BUT
Time and tide wait for no man.


The pen is mightier than the sword
BUT
Actions speak louder than words.


Wise men think alike
BUT
Fools seldom differ.


The best things in life are free things...
BUT
There's no such thing as a free lunch.



Slow and steady wins the race
BUT
Time waits for no man.



Look before you leap
BUT
Strike while the iron is hot.



Do it well, or not at all
BUT
Half a loaf is better than none.



Birds of a feather flock together
BUT
Opposites attract.



Don't cross your bridges before you come to them
BUT
Forewarned is forearmed.



Doubt is the beginning of wisdom
BUT
Faith will move mountains.



Great starts make great finishes
BUT
It isn't over 'till it's over.


Practice makes perfect
BUT
All work and no play make Jack a dull boy.



Silence is golden
BUT
The squeaky wheel gets the grease.



You're never too old to learn
BUT
You can't teach old dog new tricks


What's good for the goose is good for the gander
BUT
One man's food is another man's poison.


Absence makes the heart grow fonder
BUT
Out of sight, out of mind



Too many cooks spoil the broth
BUT
Many hands make light work.



Hold fast to the words of your ancestors
BUT
Wise men make proverbs and fools repeat them.